Murshidabad Riots: Kolkata HC Criticizes Police Shortage; Bengal Lawyer Cites Pahalgam Terror Attack
# मुर्शिदाबाद दंगे: कोलकाता HC ने पुलिसकर्मियों की कम संख्या पर उठाए सवाल, बंगाल के वकील ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया
**मुर्शिदाबाद दंगा मामले में कोलकाता हाई कोर्ट ने पुलिस बल की कमी पर चिंता जताई है, जबकि पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कल्याण बंदोपाध्याय ने पहलगाम आतंकी हमले का हवाला देकर राज्य की स्थिति को सही ठहराने की कोशिश की।**
## मुर्शिदाबाद दंगे और हाई कोर्ट की टिप्पणी
हाल ही में पश्चिम बंगाल के **मुर्शिदाबाद जिले में सांप्रदायिक हिंसा** भड़क उठी थी, जिसमें कई लोग घायल हुए और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इस मामले की सुनवाई करते हुए **कोलकाता हाई कोर्ट** ने राज्य सरकार से सवाल किया कि **"इतनी कम संख्या में पुलिसकर्मी दंगा नियंत्रण के लिए कैसे पर्याप्त हो सकते हैं?"**
कोर्ट ने कहा कि जब हिंसा फैलती है, तो **पुलिस बल की पर्याप्त संख्या होना जरूरी** है, लेकिन मुर्शिदाबाद में ऐसा नहीं दिखा। इस पर राज्य सरकार के वकील **कल्याण बंदोपाध्याय** ने जवाब देते हुए कहा कि **"1996 में पहलगाम आतंकी हमले के दौरान भी सुरक्षा बलों की संख्या कम थी, लेकिन उस समय किसी ने सवाल नहीं उठाया।"**
## क्या है पहलगाम हमले का संदर्भ?
बंदोपाध्याय ने **1996 के पहलगाम आतंकी हमले** का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय जम्मू-कश्मीर में **सुरक्षा बलों की संख्या कम होने के बावजूद** हमला हुआ, लेकिन तब केंद्र सरकार पर सवाल नहीं उठे। उन्होंने इशारा किया कि अगर केंद्र सरकार के समय में ऐसी घटनाएं हो सकती हैं, तो **राज्य सरकार को भी उसी पैमाने पर देखा जाना चाहिए।**
हालांकि, कोर्ट ने इस तुलना को खारिज करते हुए कहा कि **"यहां सवाल पुलिस व्यवस्था का है, न कि तुलना करने का।"**
## राज्य सरकार पर बढ़ता दबाव
मुर्शिदाबाद दंगों के बाद से **पश्चिम बंगाल सरकार** विपक्ष के निशाने पर है। **भाजपा और कांग्रेस** ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर **कानून-व्यवस्था विफल होने** का आरोप लगाया है। इस बीच, हाई कोर्ट ने **पुलिस की तैनाती बढ़ाने और दोषियों पर कार्रवाई** करने के निर्देश दिए हैं।
## निष्कर्ष
मुर्शिदाबाद दंगे ने एक बार फिर **बंगाल की कानून-व्यवस्था** पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि राज्य सरकार अपनी स्थिति को सही ठहराने की कोशिश कर रही है, **कोर्ट का रुख स्पष्ट है कि पुलिस बल की कमी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।**
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